घमण्ड
- फूलकर अहंकार की और बातें मत करो, और अन्धेर की बातें तुम्हारे मुंह से न निकलें; क्योंकि यहोवा ज्ञानी ईश्वर है,और कामों को तौलनेवाला है।
१ शमुएल २:३ -
जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है।
नीतिवचन ११:२ -
झगड़े रगड़े केवल अंहकार ही से होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है।
नीतिवचन १३:१० -
यहोवा अहंकारियों के घर को ढा देता है, परन्तु विधवा के सिवाने को अटल रखता है।
नीतिवचन १५:२५ -
नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है।
नीतिवचन २२:४ -
मनुष्य गर्व के कारण नीचा होता है, परन्तु नम्र आत्मा वाला महिमा का अधिकारी होता है।
नीतिवचन २९:२३ -
इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े।
१ कुरिन्थियों १०:१२ -
पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्ध नहीं; पर जो उस को मानेगा, वह उस के कारण जीवित रहेगा।
गलतियों ३:१२ -
प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।
याकूब ४:१० -
और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
लूका १४:११ -
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्या नहीं।
गलतियों ५:२२, २३ -
विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपने ही हित की नहीं, बरन दूसरों के हित की भी चिन्ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
फिलिप्पियों २:३-५ -
सब मन के घमण्डियों से यहोवा घृणा करता है करता है; मैं दृढ़ता से कहता हूं, ऐसे लोग निर्दोष न ठहरेंगे।
नीतिवचन १६:५ -
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।
नीतिवचन १६:१८ -
ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।
नीतिवचन १६:२५ -
नाश होने से पहिले मनुष्य के मन में घमण्ड, और महिमा पाने से पहिले नम्रता होती है।
नीतिवचन १८:१२ -
वह तो और भी अनुग्रह देता है। इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
याकूब ४:६ -
वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा।
भजन संहिता २५:९ -
े नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, बरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का सामना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
१ पतरस ५:५-७ -
...जो हथियार बान्धता हो वह उसकी नाई न फूले जो उन्हें उतारता हो।
१ राजा २०:११ -
यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो।
यशायाह ६६:२