श में सांत्वना
- परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा। -[अय्युब २३:१०]
- अनादि परमेश्वर तेरा शरणस्थान है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं। वह शत्रुओं को तेरे साम्हने से निकाल देता, और कहता है, उनको सत्यानाश कर दो। -[व्यवस्थाविवरण ३३:२७]
- हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यहीं इच्छा है। -[१ थिसुलोनिकियों ५:१८]
- और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाई दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़। - [इब्रानियों १२:५]
- यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया या, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। - [युहन्ना ९:३]
- मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है। -[युहन्ना १६:३३]
- तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। -[युहन्ना १४:१]
- और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है, अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। -[रोमियों ८:२८,२९]
- कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं हम वध होनेवाली भेंडों की नाई गिने गए हैं। परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्य, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी। -[रोमियों ८:३५-३९]
- जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में होकर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी? जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। - [यशायाह ४३:२]
- हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है उन्हें भी शान्ति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं वैसे ही हमारी शान्ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है, जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो जिन्हें हम भी सहते हैं। और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे तुम दुखों के वैसे ही शान्ति के भी सहभागी हो। हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपने पर भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर पर जो मरे हुओं को जिलाता है। उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। - [२ कुरिन्थियों १:३-१०]
- हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे पूरे आनन्द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपके प्रेम करने वालों को दी है। -[याकूब १:२,३,१२]
- हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझकर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है। पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो। -[१ पतरस ४:१२,१३]
- पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे। इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें। -[१ पतरस ४:१६,१९\]
- और वह उन की आंखोंसे सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - [प्रकाशितवाक्य २१:४]
- धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है। यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्वार करता है। -[भजन संहिता ३४:१७,१८]
- चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है। -[भजन संहिता ३७:२४]
- तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हम को जिलाएगा; और पृथ्वी के गहिरे गड़हे में से उबार लेगा। तू मेरी बड़ाई को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्ति देगा। [भजन संहिता ७१:२०,२१]
- मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है। -[भजन संहिता ११९:५०]
- चाहे मैं संकट के बीच में रहूं तौभी तू मुझे जिलाएगा, तू मेरे क्रोधित शत्रुओं के विरूद्ध हाथ बढ़ाएगा, और अपने दाहिने हाथ से मेरा उद्धार करेगा। -[भजन संहिता १३८:७]
- क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ। -[यशायाह २५:४]
- मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपके धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। -[यशायाह ४१:१०]
- जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूंढ़ने पर भी न पाएं और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाए मैं यहोवा उनकी बिनती सुनूंगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उनको त्याग न दूंगां। -[यशायाह ४१:१७]
- क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है। क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है। -[विलापगीत ३:३१-३३]
- और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। -[फिलिप्पियों १:६]
- यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साय राज्य भी करेंगे; यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा। यदि हम अविश्वासी भी हों तौभी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता। -[२ तिमुथीयुस २:१२,१३]
- और तेरे नाम के जानने वाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया। -[भजन संहिता ९:१०]
- संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा। -[भजन संहिता ८६:७]
- वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम-पट्टी बान्धता है। -[भजन संहिता १४७:३]