कठिनाईयाँ
- यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उस ने एलिय्याह के द्वारा कहा था, न तो उस घड़े का मैदा चुका, और न उस कुप्पी का तेल घट गया।
१ राजा १७:१६ -
अकाल में वह तुझे मुत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा।
अय्युब ५:२० -
यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊंचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊंचा गढ़ ठहरेगा। और तेरे नाम के जानने वाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया।
भजन ९:९, १० -
यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है, और उनका भाग सदैव बना रहेगा। विपत्ति के समय, उनकी आशा न टूटेगी और न वे लज्जित होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्त रहेंगे।
भजन ३७:१८, १९ -
मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं, परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है।
भजन ३७:२५ -
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठे।
भजन ४६:१-३ -
हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है।
भजन ६२:८ -
मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है, वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।
भजन ९१:२ -
उस ने छाया के लिये बादल फैलाया, और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रगट की। उन्होंने मांगा तब उस ने बटेरें पहुंचाई, और उनको स्वर्गीय भोजन से तृप्त किया। उस ने चट्टान फाड़ी तब पानी बह निकला; और निर्जल भूमि पर नदी बहने लगी।
भजन १०५:३९-४१ -
क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएं बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूंगा।
यशायह ४४:३ -
इसलिye जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे।
मत्ती ६:३०, ३१ -
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होनेवाली भेंडों की नाई गिने गए हैं। परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
रोमियों ८:३५-३९ -
हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
२ कुरिन्थियों ४:८, ९ -
और वह स्त्री उस जंगल को भाग गई, जहां परमेश्वर की ओर से उसके लिये एक जगह तैयार की गई थी, कि वहां वह एक हजार दो सौ साठ दिन तक पाली जाए।
प्रकशितवाक्य १२:६ -
वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता। वह अपने सिंहासन के साम्हने बादल फैलाकर उसको छिपाए रखता है। उजियाले और अन्धियारे के बीच जहां सिवाना बंधा है, वहां तक उस ने जलनिधि का सिवाना ठहरा रखा है।
अय्युब २६:८-१० -
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठे।
भजन ४६:१-३ -
समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है: जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है।
भजन ८९:९ -
महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है।
भजन ९३:४ -
वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।
भजन १०७:२९ -
वह दिन को घाम से बचाने के लिये और आंधी-पानी और झड़ी में एक शरण और आड़ होगा।
यशायाह ४:६ -
क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।
यशायाह २५:४ -
जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में होकर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी: जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।
यशायाह ४३:२ -
यहोवा भला है, संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपके शरणागतों की सुधी रखता है।
नहूम १:७ -
उस ने उन से कहा, हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो? तब उस ने उठकर आन्धी और पानी को डांटा, और सब शान्त हो गया। और लोग अचम्भा करके कहने लगे कि यह कैसा मनुष्य है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं।
मत्ती ८:२६, २७ -
देखो, मैने तुम्हे सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का, और शत्रु की सारी सामर्थ पर अधिकार दिया है: और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी।
लूका १०:१९