दान

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  • ..तुम ने सेंतमेंत पाया है, सेंतमेंत दो।
    मत्ती १०:८
  • जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना।
    नीतिवचन ३:२७
  • - दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्‍योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।
    लूका ६:३८
  • - यदि कोई भाई या बहिन नगें उघाड़े हों, और उन्‍हें प्रति दिन भोजन की घटी हो, और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्‍त रहो; पर जो वस्‍तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्‍हें न दे, तो क्‍या लाभ? वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्‍वभाव में मरा हुआ है।
    याकूब २:१५-१७
  • ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है। उदार प्राणी ह्रृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।
    नीतिवचन ११:२४, २५
  • जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे, और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उस से मुंह न मोड़।
    मत्ती ५:४२
  • तेरे देश में दरिद्र तो सदा पाए जाएंगे, इसलिये मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं कि तू अपने देश में अपने दीन-दरिद्र भाइयों को अपना हाथ ढीला करके अवश्य दान देना।
    व्यवस्थाविवरण १५:११
  • अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना... इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डों से नया दाखमधु उमण्डता रहेगा।
    नीतिवचन ३:९, १०
  • जो कंगाल की दोहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी।
    नीतिवचन २१:१३
  • सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे, और सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के फरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।
    मलाकी ३:१०
  • परन्‍तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे, और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
    मत्ती ६:३, ४
  • तब राजा उन्‍हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।
    मत्ती २५:४०
  • परन्‍तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी, और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्‍योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है। और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। जैसा लिखा है, उस ने बिथराया, उस ने कंगालों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा। सो जो बोनेवाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्‍त करेगा, और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा। कि तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ। क्‍योंकि इस सेवा के पूरा करने से, न केवल पवित्र लोगों की घटियां पूरी होती हैं, परन्‍तु लोगों की ओर से परमेश्वर का बहुत धन्यवाद होता है।
    २ कुरिन्थियों ९:६-१२